मैं मामूली सा श्रमिक हूं साहब, मेरे लिए जीना भी एक मज़दूरी है। मैं मामूली सा श्रमिक हूं साहब, मेरे लिए जीना भी एक मज़दूरी है।
एक श्रमिक ही है जिसे उसकी मेहनत का सच्चा अंजाम नहीं मिलता एक श्रमिक ही है जिसे उसकी मेहनत का सच्चा अंजाम नहीं मिलता
चले जाएं हड़ताल पर वे, कारखानों में ताले लग जाते हैं, मजदूरों के बिना, रुकी मशीनो चले जाएं हड़ताल पर वे, कारखानों में ताले लग जाते हैं, मजदूरों के बिना, रुकी...
चाह बस इतनी कि हर दिल में स्वाभिमान जगाऊँ मैं। चाह बस इतनी कि हर दिल में स्वाभिमान जगाऊँ मैं।
मनुष्यों का मनुष्यों के लिए अत्याचार को देखकर मुझे बहुत दुःख होता है। मनुष्यों का मनुष्यों के लिए अत्याचार को देखकर मुझे बहुत दुःख होता है।
हर क्षण परिश्रम कर करके, परिवार का पोषण करता हूँ । हर क्षण परिश्रम कर करके, परिवार का पोषण करता हूँ ।